लखनऊ, 23 नवम्बर । राजधानी स्थित विक्रमादित्य मार्ग के वे बंगले जो लंबे समय तक सत्ता और राजनीति का केंद्र रहे अब उनमें जंगल उग गया है। बंगले खंडहर में तब्दील हो रहे हैं। इसमें पहला बंगला 5 विक्रमादित्य मार्ग जिसमे स्व मुलायम सिंह यादव का जीवन बीता। दूसरा बंगला जिसमे अखिलेश यादव मुख्यमंत्री पद से हटने के बाद रह रहे थे। इन दोनों बंगलों में प्रदेश की जनता की गाढ़ी कमाई का करोड़ों रुपया लगा हुआ है। आखिर सरकार इन बंगलों का क्या करना चाहती है। इसको सार्वजनिक करना चाहिए। ये बातें कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता डा. सी. पी. राय ने कही।
डा. सी. पी. राय ने कहा कि न्यायालय के आदेश पर पूर्व मुख्यमंत्रियों के बंगले खाली हो गए और इस बात को भी कई साल हो गए हैं। इसके बावजूद सरकार उसका उपयोग नहीं कर रही है। इसी से अंदाजा लगता है कि यह सरकार सिर्फ जनता की गाढ़ी कमाई को बर्बाद करने और झूठी शान में कसीदे गढना जानती है। तभी से ये बगले और इसके अलावा लोकबंधु राज नारायण ट्रस्ट को एलाट बंगला खाली पड़ा है। शायद राजनाथ सिंह द्वारा खाली किया गया बंगला भी खाली है। शायद इसलिए की ये सरकार आने के बाद वो सड़क जो पहले सबके लिए खुली रहती थी बंद कर दी गई है इसलिए मैं उधर जाकर देख नही पाया।
उन्होंने कहा कि इसी तरह विभिन्न राज्य संपत्ति विभाग की कालोनियों में भी पचासों छोटे बड़े घर खाली पड़े हैं और बर्बाद हो रहे हैं। ये किसी नेता या पार्टी की व्यक्तिगत संपत्ति नही है की वो जैसे चाहे बर्बाद करे बल्कि ये उत्तर प्रदेश की जनता की संपत्ति है।
डॉ0 राय ने कहा कि स्व मुलायम सिंह यादव का बंगला यदि किसी काम नही आ रहा है तो उनकी यादगार बनाया जा सकता है। अथवा ये दोनों बड़े बंगले या तो विधान सभा अध्यक्ष तथा विधान परिषद के चेयरमैन को दे दिए जाते अथवा दोनो उप मुख्यमंत्रियों को दिया जाता या वरिष्ठ हाई कोर्ट न्यायाधीश लोगो को दे दिया जा सकता था और ऐसा ही मॉल एवेन्यू तथा इस क्षेत्र के अन्य बंगलो के साथ हो सकता था। मायावती वाले बंगले में कोई सरकारी कार्यालय, या हार्ट क्लीनिक अथवा इमरजेंसी खोली जा सकती थी।