अजमेर, 26 नवम्बर। अजमेर में शनिवार को विधानसभा चुनाव 2023 का मतदान शांति पूर्ण सम्पन्न हो गया। जिले के लगभग 71.73 प्रतिशत लोगों ने मत डाले। पिछले चुनाव में मतदान प्रतिशत से इस बार करीब 6 से 7 प्रतिशत मतदान अधिक हुआ। कांग्रेस और भाजपा दोनों ही पार्टियों ने पिछले चुनाव से ज्यादा मतदान को अपने लिए अच्छा संकेत बताया। सुबह 7 बजे से शाम 6 बजे तक रहे मतदान रुझान के अनुसार लोगों में मतदान के प्रति काफी उत्साह दिखाई दिया। मतदान केंद्रों पर महिलाओं और पुरुषों की लम्बी कतारें लगी दिखाई दीं। जातिगत मतदान का जोर दिखाई दिया। जाट बाहुल्य इलाकों में मतदाता पार्टियों में विभाजित नजर आए तो मुस्लिम इलाकों में मतदान के प्रति जोश रहा। गुर्जर मतदाताओं ने इस बार पहले से अधिक मतदान किया। ब्राह्मण-वैश्य मतदाता अपने-अपने उम्मीदावारों के प्रति दौड़ भाग करते दिखाई दिए। कुल मिला कर अजमेर में कांग्रेस की पिछली जीती दोनों सीटों पर जीत का संशय है तो भाजपा की जीती पिछली पांच सीटों में इस बार उलटफेर भी हो सकता है तो जीत का अंतर भी बहुत कम रह सकता है। इन सीटों पर निर्दलीय उम्मीदवारों ने प्रत्याशियों को अच्छा डेंट मारा है। एक मात्र किशनगढ़ सीट पिछले चुनाव में निर्दलीय के पक्ष में रही थी वह फिर से उन्हीं के कब्जे में जाती दिख रही है यहां भाजपा सांसद भागीरथ चौधरी की साख बचना मुशिकल लग रहा है।
यही कारण रहा कि इस बार किशनगढ़ में 74.51 प्रतिशत, पुष्कर विधानसभा क्षेत्र में 75.04 प्रतिशत, अजमेर उत्तर में 64.44 प्रतिशत, अजमेर दक्षिण में 68.07 प्रतिशत, नसीराबाद में 78.99 प्रतिशत,ब्यावर में 67.23 प्रतिशत,मसूदा में 71.89 प्रतिशत, केकड़ी में 73. 75 प्रतिशत मतदान हुआ। औसत देखा जाए तो अजमेर जिले में करीब 71.73 प्रतिशत मतदान रहा। यह मतदान पिछले चुनाव से ज्यादा है। पिछले चुनाव में करीब 64 प्रतिशत मतदान हुआ था।
अजमेर जिले में कुल आठ विधानसभा सीटों में से पिछले चुनाव में कांग्रेस के पक्ष वाली केकड़ी और मसूदा विधानसभा सीट दोनों पर कांग्रेस की जीत का संशय है । इन सीटों पर कांग्रेस के दिग्गज नेता डॉ रघु शर्मा केकड़ी से और राकेश पारीक मसूदा से चुनाव मैदान में है। बताते हैं कि डॉ रघु शर्मा को पिछले चुनाव में उपमुख्यमंत्री मंत्री सचिन पायलट के कारण ही सफलता मिली थी किन्तु चुनाव जीतने के बाद डॉ रघु शर्मा अशोक गहलोत के नजदीक हो गए। लिहाजा इस बार गुर्जर समुदाय ने केकड़ी में शर्मा जी पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया। मसूदा सीट क्षेत्र में कांग्रेस के ही बागियों से घिरी होने के कारण पूरी तरह खतरे में ही बताई जा रहा है। यहां से कांग्रेस के राकेश पारीक और सचिन पायलट से सबसे करीबी उम्मीदवार मैदान में है किन्तु कांग्रेस में ही भीतरघात के चलते मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के नजदीकी ही मैदान निर्दलीय के रूप में डट गए इससे पारीक को सीधा अपनों से ही मुकाबले में आना पड़ गया। वहां भाजपा का फूल खिले ऐसा भी कोई नहीं कह रहा पर संभावना बताई जा रही है क्यों कि भाजपा उम्मीदवार कानावत संगठन से हैं और राजपूत युवा मेहनती स्वच्छ छवि के प्रत्याशी है।
जिले में भाजपा की पांच सीटों में से अजमेर उत्तर सीट सर्वाधिक हॉट है किन्तु मतदान के बाद लोग इस सीट को भी यूं तो भाजपा के लिए खोने जैसी मान रहे हैं पर कहते हैं कि सीट भाजपा ने रिपीट भी की तो जीत का अंतर बहुत ही कम होगा। वहीं इस सीट से निर्दलीय उम्मीदवार ज्ञान सारस्वत के प्रति मतदान को लोग भाजपा के लिए खतरा बता रहे हैं। कुछ लोगों का यह भी कहना है कि यह सीट ज्ञान सारस्वत के चुनाव मैदान में अच्छे मत लेने से ही कांग्रेस के महेन्द्र सिंह रलावता के खाते में जा सकती है। रलावता की जीत मुस्लिम मतो के साथ राजपूत मतों की गिनती पर ही तय होगी किन्तु जिस तरह से अजमेर उत्तर में मतदान प्रतिशत जिले में ही अन्य सीटों के मुकाबले सबसे कम 64 प्रतिशत ही रहा है लिहाजा यहां डाउट है पर फिर भी जीत भाजपा के पक्ष में संभावित बताई जा रही हैं।
अजमेर दक्षिण सीट पर पूर्व मंत्री और चार बार की सफल विधायक अनिता भदेल को को इस बार बहुत ही कड़ी टक्कर का सामना करना पड़ा है। मतदान रुझान के अनुसार इस सीट पर अंडर करंट कांग्रेस के पक्ष में चलता बताया जा रहा है। इसका कारण कांग्रेस की ओर से नया उम्मीदवार कोली समाज से ही डॉ द्रोपदी कोली को खड़ा किया जाना है साथ यहां पहले जैसी कांग्रेस के ही ललित भाटी और हेमन्त भाटी बंधुओं की लड़ाई भी इस बार नहीं रही। कांग्रेस के अन्य कार्यकर्ता द्रोपदी कोली को संगठन से जुड़ी होने के कारण सपोर्ट करते दिखे। बीस साल से विधायक रहते अनिता भदेल के प्रति स्वभाविक नाराजगी और विकल्प की उपलब्धता इस सीट पर भाजपा के जीत के मतों के अंतर को जरूर कम करते दिखाई दे रहे हैं फिलहाल प्रत्याशियों का भाग्य जनता ने मतपेटियों में बंद कर दिया है।
अजमेर के किशनगढ़ विधानसभा सीट से विधायक निर्दलीय सुरेश टांक के मुकाबले के लिए इस बार अजमेर से सांसद भागीरथ चौधरी को भाजपा ने मैदान में उतारा था। यहां कांग्रेस ने भाजपा के ही पिछले प्रत्याशी रहे विकास चौधरी को कांग्रेस में शामिल कर उन्हें उम्मीदवार बना दिया। लिहाजा जाट मतों में जबरदस्त टूटन हो गई। ऐसी स्थिति में मतदान रुझान के अनुसार किशनगढ़ से एक बार फिर से सुरेश टांक का पलड़ा भारी नजर आ रहा है। यहां भाजपा के सांसद भागीरथ चौधरी की साख खतरे में पड़ सकती है। जिले में लगभग सर्वाधिक मतदान प्रतिशत 75 प्रतिशत किशनगढ़ का ही रहा है।
अजमेर की पुष्कर विधान सभा सीट से भाजपा के सुरेश रावत की जीत के उम्मीद की जा रही है। पर यहां से चौकाने वाला परिणाम भी आ सकता है। इसके पीछे कांग्रेस की उम्मीदवार नसीम अख्तर इंसाफ के मुस्लिम मतों में निर्दलीय प्रत्याशी डॉ श्रीगोपाल बाहेती, के अलावा स्वयं मुस्लिम समाज से ही तीन अन्य उम्मीदवारों द्वारा सेंध लगाना है। साथ अन्य फैक्टर भी काम कर रहे हैं। भाजपा के लिए अशोक रावत निर्दलीय जरूर सिरदर्द बने हैं किन्तु जातिगत रूप से रावत, गुर्जर, जाट समाज के लोगों ने मतदान रुझान के अनुसार कमल के फूल पर भरोसा दर्शाया है। भाजपा के स्टार प्रचारक योगी की सभा से यहां काफी अच्छा माहौल बना भी जिसकी काट कांग्रेस की नसीम अख्तर ने सचिन पायलट की सभा से की ।
नसीराबाद विधानसभा सीट से भाजपा के रामस्वरूप लांबा और कांग्रेस के गुर्जर प्रत्याशी के बीच निर्दलीय ताल ठोकने वाले शिव पलाड़ा ने दोनों ही पार्टियों को अच्छा डेंट दिया है। मतदान रुझान के अनुसार समझा जा सकता है कि पलाड़ा को मिलने वाले मत ही भाजपा के मौजूदा विधायक रामस्वरूप लांबा के जीत हार के अंतर को तय करेंगे। पिछला चुनाव लांबा अपने पिता भाजपा के कद्दावर नेता सांवरलाल जाट के नाम और काम के कारण अधिक मतों से जीते थे। यहां से कांग्रेस ने नए चेहरे गुर्जर को मैदान में उतारा है उन्हें पूर्व के कांग्रेसी विधायक महेन्द्रसिंह गुर्जर और अन्य समुदाय का उतना साथ नहीं मिलना माना जा रहा है जितना अपेक्षित था। फिर भी यहां जातिय आधार पर मतों का विभाजन हो गया। जाट, गुर्जर और राजपूत इसके अलावा मुस्लिम मतों के साथ ब्राह्ण व बनिए और एससीएसटी को देखा जाए तो परिणाम उलटपुलट होता ही प्रतीत होता है।
ब्यावर विधान सभा सीट पर भाजपा के शंकर सिंह रावत को हालाकि निर्दलीय रावत उम्मीदवारों ने भी काफी नुकसान पहुंचाया है, निर्दलीय प्रत्याशी इंदर सिंह बागावास, और अन्य भी चुनाव मैदान में रहे किन्तु मुख्य टक्कर कांग्रेस के उम्मीदवार पारस और भाजपा रावत के बीच ही रही। इस रुझान में भाजपा यहां से रिपीट करेगी ऐसी संभावना दर्शाई जा रही है।
जिले ट्रांसजेंडर ने किया शत प्रतिशत मतदान
अजमेर के सभी करीब 22 ट्रांसजेंडर ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया। सभी सुबह मतदान शुरू होते ही मतदान केंद्र पहुंचकर उत्साह से मतदान किया।