पाली, 31 मार्च । पाली, उदयपुर और राजसमंद जिले तक फैले कुंभलगढ़ को राष्ट्रीय उद्यान बनाने के लिए अभी तक जमीन अवाप्ति की प्रक्रिया शुरू नहीं हो सकी है। स्थिति यह है कि राजसमंद जिले के अन्तर्गत आने वाली जमीन की अवाप्ति के लिए कुंभलगढ़ एसडीएम को भूमि अवाप्ति अधिकारी बनाया गया है, लेकिन पाली और उदयपुर में अभी तक इसमें कोई प्रगति नहीं हुई है। इसके कारण यह काम अटका हुआ है, जबकि सरकार ने इसके लिए छह करोड़ रुपये पहले ही जारी कर दिए हैं।
राज्य सरकार की ओर से 20 नवम्बर 2011 को कुंभलगढ़ राष्ट्रीय उद्यान (नेशनल पार्क) घोषित किया था। इसकी सीमा राजसमंद, उदयपुर और पाली जिले में लगती है। ऐसे में इसके अन्तर्गत आने वाली ग्रामीणों की रहवासी, कृषि एवं अन्य जमीनों को अवाप्त कर डीएलसी दर पर मुआवजा दिया जाना है। सरकार की ओर से इसके लिए गत वर्ष 6 करोड़ रुपये की राशि जारी कर दी गई। गत दिनों राजसमंद जिला कलक्टर ने कुंभलगढ़ उपखण्ड अधिकारी को भूमि अवाप्ति अधिकारी बना दिया, लेकिन पाली और उदयपुर में अभी तक भूमि अवाप्ति अधिकारी घोषित नहीं किया गया है। इस कारण अभी तक यह काम प्रारंभ नहीं हो सका है। वन विभाग की ओर से उदयपुर और पाली जिला कलक्टर को कई बार पत्र लिखा जा चुका है। इसके बावजूद इसमें कोई प्रगति नहीं हुई है। उल्लेखनीय है कि कुंभलगढ़ को टाइगर रिजर्व बनाए जाने की तैयारी जारी है। टाइगर के वन्यजीवों की संख्या बढ़ाने के लिए ग्रासलैंड आदि तैयार किया जाना है। सरकार की 2024-2025 तक यहां पर टाइगर छोड़े जाने की योजना है।
सरकार ने 510.37 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र को कुंभलगढ़ राष्ट्रीय उद्यान के लिए घोषित किया गया था। इसमें संशोधन कर 462.05 वर्ग किलोमीटर कर अंतिम अधिसूचना जारी की गई। ऐसे में 38.32 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र को कम किया गया। इसमें 18.36 वर्ग किलोमीटर पाली एवं 87 वर्ग किलोमीटर उदयपुर में आ रही है। इसके अन्तर्गत आने वाले गांवों की रहवासी और कृषि आदि की भूमि को अवाप्त किया जाना है। इसके बदले डीएलसी दर पर मुआवजा दिया जाएगा, लेकिन यह प्रक्रिया अभी तक शुरू नहीं हो सकी है।
राजसमंद वन विभाग के उप वन संरक्षक आलोक गुप्ता का कहना है कि कुंभलगढ़ राष्ट्रीय उद्यान के अन्तर्गत आने वाले ग्रामीणों की जमीन अधिग्रहित की जानी है। इसके बदले डीएलसी दर पर मुआवजा दिया जाएगा। कुंभलगढ़ के उपखण्ड अधिकारी को भूमि अवाप्ति अधिकारी बनाया गया है। इसके लिए उदयपुर और पाली जिला कलक्टर को फिर पत्र लिखा है।