चंडीगढ़,13 नवंबर । अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार ज्ञानी रघुबीर सिंह ने बंदी छोड़ दिवस के मौके पर समूचे विश्व में बसे सिखों के नाम संदेश जारी करते हुए कहा है कि अकाल तख्त साहिब यह महसूस करता है कि सिखों के साथ जहां आजाद भारत में नाइंसाफी हुई है, वहीं अपनी सजाओं से अधिक सजा का भुगतने के बावजूद सरकारों ने बंदी सिखों को रिहा नहीं किया गया। यह मानवाधिकारों का हनन तथा सिखों के साथ नाइंसाफी है।
उन्होंने कहा कि सिखों के मनों को शांत करने के लिए सरकारों को चाहिए कि वह बंदी सिखों को तुरंत रिहा करें। जत्थेदार ने कहा कि पिछले 28 वर्षों से जेलों में बंद तथा 17 वर्षों से आठ फुट की चक्की में बंद जिंदा शहीद भाई बलवंत सिंह राजोआणा का समूची कौम सम्मान करती है। भाई राजोआणा के कुर्बानी भरे जज्बे की अकाल तख्त साहिब भी प्रशंसा करता है। उन्होंने कहा कि पिछले 12 वर्ष से राजोआणा की फांसी की सजा को समाप्त करने की अपील गृह मंत्रालय के पास लंबित पड़ी है। जिस पर कोई फैसला न होना सिखों को भारत में दोयम दर्जे के व्यवहार का अहसास करवाता है। राजीव गांधी तथा बिलकिस बानो के मामले के आरोपियों की रिहाई ने साफ कर दिया है कि सरकार सिखों के साथ भेदभाव कर रही है।
अकाल तख्त जत्थेदार ने कहा कि गुरु नानक देवजी के 550वें प्रकाश पर्व के अवसर पर आठ बंदी सिखों की रिहाई तथा भाई राजोआणा की फांसी की सजा को उम्र कैद में तब्दील करने की अधिसूचना जारी करके पलट जाना सिखों के साथ बड़ा धोखा है। अब समय आ गया है, जब सिखों को आगामी रणनीति के बारे में गंभीरता से सोचना होगा।
जत्थेदार बंदी छोड़ दिवस के अवसर पर एसजीपीसी को आदेश दिए कि वह समूह बंदी सिखों की रिहाई के गंभीर प्रयास करे तथा भाई राजोआणा की फांसी की सजा को उम्र कैद में तब्दील करवाने के लिए ठोस कदम उठाए। एसजीपीसी इस मसले पर नानक नाम लेवा संगत की बैठक जल्द से जल्द बुलाए।