मुंबई, 25 अगस्त । राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) में विभाजन को लेकर राजनीति गरमा गई है। एक तरफ राकांपा सांसद सुप्रिया सुले पार्टी में किसी भी विभाजन से इनकार करती हैं, तो अब उनके चाचा शरद पवार ने सुले के बयान का समर्थन करने से इनकार कर दिया है, जिससे महाविकास आघाड़ी में भ्रम बढ़ गया है। राजनीतिक तौर पर देखा जाए तो अब चाचा और भतीजी आमने-सामने हैं।
राकांपा सांसद सुप्रिया सुले ने गुरुवार को पत्रकारों को बताया था कि उनकी पार्टी में किसी भी तरह का विभाजन नहीं हुआ है, लेकिन अजीत पवार ने पार्टी विरोधी काम किया है। इसकी शिकायत विधानसभा अध्यक्ष के समक्ष की गई है। इसके बाद राकांपा अध्यक्ष शरद पवार ने शुक्रवार को पत्रकारों को बताया कि वे सुप्रिया सुले के बयान का वे समर्थन नहीं करते हैं। अजीत पवार और सुप्रिया सुले भाई-बहन हैं, वे उनकी बात को महत्व नहीं देते हैं। उन्होंने अपने बारे में साफ़ किया कि उनकी भूमिका किसी भी कीमत पर भाजपा को समर्थन देने की नहीं है।
दूसरी तरफ, सुप्रिया सुले के बयान के बाद राकांपा की भूमिका को लेकर सवाल खड़ा किया जाने लगा है। शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) पार्टी के नेता संजय राऊत ने कहा कि सुप्रिया सुले का बयान गुमराह करने वाला है। जिस तरह से शिवसेना में विधायकों ने पार्टी नेतृत्व की विचारधारा के विरुद्ध काम किया, ठीक उसी तरह राकांपा से भी विधायक टूटे और पार्टी की विचारधारा के विरुद्ध काम किया है। यह फूट नहीं, तो और क्या है। कोई कुछ भी कहे, जनता इस फूट का मतलब अच्छी तरह जानती है।
विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष विजय वडेट्टीवार ने भी कहा कि राकांपा में फूट हुई है। इस फूट का मामला चुनाव आयोग के समक्ष चल रहा है। इतना ही नहीं, राकांपा के कई विधायकों पर कार्रवाई करने की मांग विधानसभा अध्यक्ष के समक्ष की गई है। इसके बाद अगर पार्टी की ओर से कहा जा रहा है कि उनकी पार्टी में फूट नहीं है, तो यह उनकी रणनीति का हिस्सा हो सकता है।
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के प्रदेश अध्यक्ष चंद्रशेखर बावनकुले ने कहा कि शरद पवार बहुत ही सुलझे हुए नेता हैं। उनका धीरे-धीरे मत परिवर्तन होगा और वे बहुत जल्द भाजपा को समर्थन देंगे।