कोलकाता, 17 नवंबर । पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के भतीजे और तृणमूल कांग्रेस के सांसद अभिषेक बनर्जी को इस बार लोकसभा चुनाव में बड़ी चुनौती मिलने वाली है। इसकी वजह है कि उनके संसदीय क्षेत्र डायमंड हार्बर सीट से बंगाल के चर्चित मुस्लिम विधायक नौशाद सिद्दीकी चुनाव लड़ने वाले हैं। 2021 के विधानसभा चुनाव में मुस्लिम बहुल इलाके दक्षिण 24 परगना के भांगड़ से जीत दर्ज करने वाले इंडियन सेक्युलर फ्रंट (आईएसएफ) के नौशाद सिद्दीकी ने घोषणा की है कि वह न केवल डायमंड हार्बर से चुनाव लड़ेंगे बल्कि अभिषेक बनर्जी को मात भी देंगे।
दक्षिण 24 परगना जिले की डायमंड हार्बर सीट से 2014 से अभिषेक बनर्जी लगातार संसदीय चुनाव जीतते रहे हैं। दक्षिण 24 परगना जिला जहां यह संसदीय क्षेत्र है वह मुस्लिम बहुल इलाका है। दक्षिण 24 परगना जिले की कुल मुसलमान आबादी 35 फीसदी से अधिक है। यहां तृणमूल कांग्रेस का हमेशा से राजनीतिक वर्चस्व रहा है। बावजूद इसके 2021 के विधानसभा चुनावों में सिद्दीकी ने जिले की भांगड़ सीट से चुनाव जीतकर सत्तारूढ़ तृणमूल को तगड़ा झटका दिया था।
हाल के दिनों में तृणमूल से खिसका है मुस्लिम वोट बैंक
पश्चिम बंगाल में वाम दलों की सरकार के 34 सालों के शासन को खत्म कर 2011 में तृणमूल ने सरकार बनाई थी और ममता बनर्जी मुख्यमंत्री बनी थीं तब से लेकर अब तक पार्टी को राज्य के मुस्लिम वोट बैंक पर लगभग एकाधिकार रहा है। हालांकि हाल के दिनों में तृणमूल कांग्रेस से मुस्लिम वोट बैंक खिसका है। 2011 की जनगणना के अनुसार राज्य में 27.01 फीसदी मुस्लिम हैं।
हालांकि 2021 के विधानसभा चुनाव से लेकर हाल के दिनों में मुस्लिम आबादी ने तृणमूल को वोट देने के बजाय दूसरे दलों के मुस्लिम उम्मीदवारों को तरजीह दी है। इसी साल फरवरी में मुर्शिदाबाद के सागरदिघी विधानसभा उपचुनाव में तृणमूल की हार हुई थी। इस सीट पर मुस्लिम आबादी 66.28 फीसदी है।
डायमंड हार्बर लोकसभा सीट पर 52 फीसदी मतदाता मुस्लिम हैं जिन्होंने 2014 से लगातार अभिषेक बनर्जी को वोट दिया है। हालांकि इस तबके के बीच, नौशाद सिद्दीकी का अच्छा प्रभाव है. इसलिए डायमंड हार्बर से नौशाद का चुनाव लड़ना अभिषेक बनर्जी के लिए परेशानी का सबब बन सकता है।
अभिषेक बनर्जी ने 2014 का चुनाव इसी सीट से 70 हजार से अधिक वोटों के अंतर से जीते था। इसके बाद 2019 में इन्होंने 3.2 लाख मतों से बढ़त बनाते हुए इस सीट पर दोबारा जीत हासिल की थी।
पहली बार में आईएसएफ का प्रदर्शन भी रहा शानदार
वहीं दूसरी तरफ इंडियन सेक्युलर फ्रंट (आईएसएफ) पहली बार 2021 के विधानसभा चुनाव से अस्तित्व में आई और पहले ही चुनाव में नौशाद सिद्दीकी ने जीत दर्ज की थी।
2021 में आईएसएफ ने वामपंथी लेफ्ट फ्रंट और कांग्रेस के साथ गठबंधन कर चुनाव लड़ा था। इसके बाद इस साल जुलाई में पंचायत चुनाव के दौरान भांगड़ इलाके में आईएसएफ ने तृणमूल कांग्रेस को न केवल कड़ी टक्कर दी, बल्कि हिंसक झड़पों में भी दोनों दलों के कई कार्यकर्ताओं की मौतें हुई । ऐसे में 2024 के लोकसभा चुनाव में जब नौशाद सिद्दीकी अभिषेक बनर्जी के सामने ताल ठोकेंगे, तो मुस्लिम वोट बैंक में सेंध लगने की पूरी संभावना है।