क्यूआरएसएएम के यूजर ट्रायल पूरे, उत्पादन के लिए रक्षा मंत्रालय से हरी झंडी का इन्तजार

क्यूआरएसएएम के यूजर ट्रायल पूरे, उत्पादन के लिए रक्षा मंत्रालय से हरी झंडी का इन्तजार

नई दिल्ली, 09 जनवरी । स्वदेशी क्विक रिएक्शन सरफेस टू एयर मिसाइल वेपन सिस्टम (क्यूआरएसएएम) के यूजर ट्रायल पूरे हो गए हैं। रक्षा मंत्रालय से हरी झंडी मिलने के बाद छह महीने के भीतर उत्पादन शुरू होने पर जल्द ही भारतीय सशस्त्र बलों में शामिल किया जाएगा। सेना और वायु सेना को मिलने वाली मिसाइल प्रणाली से मध्यम ऊंचाई पर पायलट रहित विमान को मार गिराकर आखिरी यूजर ट्रायल किया गया है।

रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) और भारतीय सेना ने सभी मौसम में रोटेटेबल ट्रक-आधारित लॉन्च प्लेटफॉर्म पर लगे कनस्तर से स्वदेशी रूप से विकसित हथियार प्रणाली के छह राउंड उड़ान परीक्षण किये हैं। क्यूआरएसएएम हथियार प्रणाली वायु रक्षा के लिए विकसित की जा रही निगरानी, लक्ष्य प्राप्ति और यात्रा के दौरान ट्रैकिंग और शॉर्ट हॉल्ट पर आग लगाने में सक्षम है। डीआरडीओने 3 से 7 जनवरी तक नागपुर में 108 वीं भारतीय विज्ञान कांग्रेस में भी इस प्रणाली का एक मॉडल प्रदर्शित किया था। यह दुनिया में सबसे उन्नत क्यूआरएसएएम हथियार प्रणालियों में से एक है।

सेना और वायुसेना ने यूजर ट्रायल के दौरान इस हथियार प्रणाली का दिन और रात में भी परीक्षण करके मूल्यांकन किया है। इस दौरान मिशन के सभी उद्देश्यों को पूरा किया गया, अत्याधुनिक मार्गदर्शन और नियंत्रण एल्गोरिदम के साथ हथियार प्रणाली की पिन-पॉइंट सटीकता स्थापित की गई, जिसमें वारहेड श्रृंखला भी शामिल है। मिसाइल प्रणाली में पूरी तरह से स्वचालित कमांड और नियंत्रण प्रणाली, सक्रिय सरणी बैटरी निगरानी रडार, सक्रिय सरणी बैटरी मल्टी-फंक्शन रडार और लॉन्चर शामिल हैं। दोनों रडार चार-दीवार वाले हैं जिनमें 360-डिग्री कवरेज के साथ सर्च-ऑन-मूव और ट्रैक-ऑन-मूव क्षमता है।

इस मिसाइल को विकसित करने के लिए डीआरडीओ की परियोजना को जुलाई 2014 में 476.43 करोड़ रुपये के बजट के साथ मंजूरी दी गई थी। मिसाइल प्रणाली को भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (बीईएल) और भारत डायनेमिक्स लिमिटेड के सहयोग से विकसित किया गया है। डीआरडीओ ने सतह से हवा में 30 किमी. दूर तक लक्ष्य को मार सकने में सक्षम इस वायु रक्षा प्रणाली का आखिरी विकासात्मक परीक्षण 13 नवम्बर, 2020 को ओडिशा के बालासोर उड़ान परीक्षण रेंज से किया था। इस मिसाइल को 6 कैनिस्टराइज्ड मिसाइलों को ढोने में सक्षम मोबाइल लॉन्चर के सहारे परिवहन और प्रक्षेपण के लिए लाया गया।यह मिसाइल प्रणाली एक्टिव आरएफ सीकर, विभिन्न उद्योगों से हासिल इलेक्ट्रो मैकेनिकल एक्टिवेशन (ईएमए) प्रणाली के साथ पूरी तरह से स्वदेशी है।

डीआरडीओ के अनुसार रक्षा से संबंधित सार्वजनिक उपक्रम बीईएल, बीडीएल और निजी उद्योग एलएंडटी के माध्यम से इस हथियार प्रणाली के तत्वों की आपूर्ति हुई है। सभी रेंज ट्रैकिंग स्टेशन, रडार, ईओटी और टेलीमेट्री स्टेशनों ने उड़ान संबंधी मापदंडों की निगरानी की। संपूर्ण हथियार प्रणाली अत्यधिक मोबाइल प्लेटफार्मों पर कॉन्फिगर की गई है, जो वायु रक्षा प्रदान करने में सक्षम है। इसे सभी मौसम में इस्तेमाल किया जा सकता है, जिसकी 30 किलोमीटर की रेंज है। यूजर ट्रायल पूरे होने के बाद अब रक्षा मंत्रालय से हरी झंडी मिलने के बाद छह महीने के भीतर मिसाइल का उत्पादन शुरू होने की उम्मीद है। इसके बाद जल्द ही मिसाइल प्रणाली भारतीय सशस्त्र बलों को इस्तेमाल के लिए सौंप दी जाएगी।