- अंतिम समय तक राजनीति में सक्रिय रहे चाैटाला
- छाेटे बेटे अभय को बनाया राजनीतिक उत्तराधिकारी
चंडीगढ़, 20 दिसंबर । हरियाणा की राजनीति में पहली कतार के नेताओं में शुमार स्वर्गीय ओम प्रकाश चौटाला पांच बार हरियाणा के मुख्यमंत्री बने और सात बार विधानसभा के सदस्य रहे। ओम प्रकाश चौटाला पिछले कई सालों से भले ही स्वास्थ्य लाभ ले रहे थे, लेकिन अंतिम समय तक वह राजनीति में सक्रिय रहे। चौटाला जहां भी रहते थे वहां रोजाना कार्यकर्ताओं से मुलाकात करना उनकी दिनचर्या का हिस्सा था। हाल ही में हुए लोकसभा और विधानसभा चुनाव के दौरान चौटाला ने अपनी पार्टी के उम्मीदवारों के लिए प्रचार किया था।
ओम प्रकाश चौटाला का जन्म एक जनवरी 1935 को सिरसा जिले के डबवाली स्थित चौटाला गांव में हुआ था, जो पहले पंजाब का हिस्सा था। पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री सरदार प्रकाश सिंह बादल से उनकी प्रगाढ़ मित्रता थी। जेबीटी शिक्षक भर्ती घोटाले में करीब 10 साल सजा काट चुके चौटाला भारत के छठे उप प्रधानमंत्री स्व. देवीलाल के सबसे बड़े पुत्र थे। उम्र के आखिरी दौर में वे अपने बेटों अजय सिंह चौटाला और अभय सिंह चौटाला के परिवार को एक नहीं कर सके। अपने छोटे बेटे अभय सिंह चौटाला को वे अपना राजनीतिक उत्तराधिकारी पहले ही घोषित कर चुके हैं। बादल परिवार ने चौटाला परिवार को एकजुट करने की बहुत कोशिश की, लेकिन बात नहीं बन पाई।
ओम प्रकाश चौटाला के नेतृत्व वाला इंडियन नेशनल लाेकदल (इनेलो) केंद्र में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) सरकार का हिस्सा भी रह चुका है। चौटाला के पांच बार मुख्यमंत्री बनने की कहानी बड़ी दिलचस्प है। इसमें से दो बार यानी दूसरी और चौथी बार जुलाई माह में ही उन्होंने सत्ता संभाली। चौटाला पहली बार 1989 में राज्य के मुख्यमंत्री बने। 12 जुलाई 1990 को चौटाला ने दूसरी बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ली, जब तत्कालीन मुख्यमंत्री बनारसी दास गुप्ता को दो माह में ही इस पद से हटा दिया गया था। हालांकि चौटाला काे मुख्यमंत्री बनने के महज पांच दिन बाद ही 17 जुलाई 1990 को राजनीतिक विवशता के कारण इस पद से त्यागपत्र देना पड़ा था और हुकम सिंह अगले मुख्यमंत्री बन गए थे। उस समय उनके पिता चौधरी देवीलाल देश के उप प्रधानमंत्री थे।
इससे पूर्व, दो दिसंबर 1989 को चौटाला पहली बार हरियाणा के मुख्यमंत्री बने और 22 मई 1990 तक इस पद पर रहे। पद से हटने के कुछ दिनों बाद ही उन्होंने सिरसा की तत्कालीन दरबाकलां विधानसभा सीट से उपचुनाव जीता। इसके बाद उसी छठी विधानसभा के दौरान चौटाला 22 अप्रैल 1991 को तीसरी बार मुख्यमंत्री बने, परंतु केवल दो सप्ताह अर्थात पांच मई तक ही इस पद पर रह सके, क्योंकि तत्कालीन राज्यपाल की सिफारिश पर केंद्र सरकार ने प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लगा दिया था।
वर्ष 1993 में भजनलाल सरकार के कार्यकाल के दौरान नरवाना उपचुनाव जीतकर चौटाला ने सबको हैरान कर दिया था। इसी दौरान चौटाला पहले जनता दल, फिर समाजवादी जनता पार्टी (राष्ट्रीय) और फिर समता पार्टी में रहे। हालांकि 1996 के लोकसभा चुनाव के बाद उन्होंने हरियाणा लोक दल राष्ट्रीय (हलोदरा) के नाम से नई पार्टी बना ली और 1998 में लोकसभा के मध्यावधि चुनाव में बसपा से गठबंधन कर प्रदेश की 10 में से पांच लोकसभा सीटें जीती। इसके बाद उन्हें मान्यता प्राप्त क्षेत्रीय दल का दर्जा हासिल हो गया था। तब चौटाला ने अपनी पार्टी का नाम बदलकर इंडियन नेशनल लोकदल (इनेलो) कर लिया था।
24 जुलाई 1999 में चौटाला चौथी बार राज्य के मुख्यमंत्री बने, जब तत्कालीन मुख्यमंत्री बंसीलाल की हरियाणा विकास पार्टी (हविपा)-भाजपा गठबंधन की सरकार से पहले भाजपा ने समर्थन वापस ले लिया, जिसके बाद हविपा में भी फूट पड़ गई थी। हविपा के बागी विधायकों के समर्थन और भाजपा के सहयोग से चौटाला उस समय राज्य के मुख्यमंत्री बने, हालांकि बाद में दिसंबर 1999 काे उन्होंने विधानसभा भंग करवा दी और ताजाा विधानसभा चुनाव में दो मार्च 2000 को चौटाला पांचवीं बार मुख्यमंत्री बने। उस समय चौटाला पूरे पांच साल यानी मार्च 2005 तक मुख्यमंत्री रहे थे। इसी कार्यकाल के दौरान 2004 के लोकसभा चुनाव भी आए, जिससे पहले इनेलो व भाजपा का गठबंधन टूट गया था।