-नए साल पर मायावती का सभी पार्टियों को घेरा
लखनऊ, 01 जनवरी । बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती ने पार्टी की ओर से सभी देशवासियों को आंग्ल नव वर्ष की हार्दिक बधाई दी है। उन्होंने नये साल में सभी के लिए रोजगार युक्त व महंगाई मुक्त आत्म-सम्मान के सुख, शान्ति व समृद्धि भरे जीवन की शुभकामनाएं दीं और साथ ही इनकी प्राप्ति के लिए अपना-अपना सतत् सत्ता संघर्ष जारी रखने की अपील भी की है।
उन्होंने कहा कि वैसे भी देश के करोड़ों गरीबों, मजदूरों, किसानों, व्यापारी वर्ग व अन्य मेहनतकश समाज को, बड़े-बड़े पूंजीपतियों व धन्नासेठों की तरह सरकारी दया व कृपादृष्टि पर ही आगे बढ़ने के बजाय, हमेशा अपनी कड़ी मेहनत एवं संघर्ष के बल पर थोड़े में ही गुजारा करने की ज्यादातर आदत है। अगर सरकार चाहे तो अपनी नीयत व नीति में थोड़ा सुधार करके इन सभी लोगों के जीवन को अच्छे दिन में जरूर बदल सकती है और यही सरकार का कर्तव्य भी है। लेकिन दुःख की बात है कि इन सभी मामले में केन्द्र व राज्यों की सरकारें हमें बिल्कुल भी गम्भीर नजर नहीं आती हैं।
मायावती ने कहा जबकि दुनिया के लिए एक आदर्श मानवतावादी व समतामूलक भारत बनाना बाबा साहेब डा. भीमराव अम्बेडकर आदि महापुरुषों की आस्था रही है। जिसके अनुरूप ही भारत का संविधान बनाया गया। इसकी मूल मंशा के अनुरूप देश को जातिवादी व साम्प्रदायिक द्वेष, नफरत व संकीर्णता आदि से मुक्त रखकर देश को सुखी व समृद्ध बनाना ही मूल मकसद रहा है। क्योंकि इसके अभाव का सबसे बड़ा भुक्तभोगी बहुजन समाज के करोड़ों लोग ही होते हैं। इसी खराब बीमारी को दूर करने के लिए ही बसपा की स्थापना की गई है ताकि सत्ता की मास्टर चाबी प्राप्त करके यहां देश में राजनीतिक लोकतंत्र के साथ-साथ सामाजिक व आर्थिक लोकतंत्र की भी स्थापना की जा सके।
जहां तक लोगों को जोड़कर भारत को असली भारत बनाने के लिए यज्ञ की बात है तो यह काम बसपा ने समस्त 85 प्रतिशत शोषितों- पीड़ितों व उपेक्षितों को बहुजन समाज की शक्ति में जोड़कर काफी पहले से शुरू कर दिया है। लेकिन इसकी स्थापना में सबसे बड़ी चुनौती आरक्षण को लागू करने को लेकर संविधान बनने से लेकर आज तक बनी हुई है। इस मामले में कांग्रेस, भाजपा व समाजवादी पार्टी सहित कोई भी विरोधी पार्टी आरक्षण के साथ इस संवैधानिक उत्तरदायित्व के प्रति ईमानदार नहीं है। यही आज तक का कड़वा इतिहास है। इसके साथ ही एससी व एसटी के आरक्षण को लागू करने के मामले में ही नहीं बल्कि ओबीसी के आरक्षण को लेकर भी इन पार्टियों का रवैया अति जातिवादी व क्रूर देखने को मिला है।
मायावती ने कहा कि कांग्रेस पार्टी ने केन्द्र में अपनी सरकार के लम्बे दौर के रहते हुए भी पिछड़ों के आरक्षण सम्बन्धी मण्डल कमीशन की रिपोर्ट को लागू नहीं होने दिया। साथ ही, एससी व एसटी के आरक्षण को भी निष्प्रभावी बना दिया और अब भाजपा भी इस मामले में जगजाहिर तौर पर कांग्रेस के पदचिन्हों पर ही चलकर बहुजनों के आरक्षण के हक को मारने का भी घोर अनुचित काम रही है। यह सब अति-दुखद व अति चिन्तनीय भी है। इतना ही नहीं बल्किी, देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश में सपा की रही सरकार ने भी खासकर अति पिछड़ों को पूरा हक नहीं देकर इनके साथ हमेशा छल करने का ही काम किया है।
मायावती ने कहा कि समाजवादी पार्टी ने एससी व एसटी का पदोन्नति में आरक्षण को खत्म कर दिया। इससे सम्बन्धित बिल को सपा ने संसद में फाड़ दिया तथा इसे पास भी नहीं होने दिया। इतना ही नहीं इस पार्टी ने ओबीसी की 17 अति-पिछड़ी जातियों को ओबीसी वर्ग की सूची से हटाकर एससी वर्ग में शामिल करने का गैर-संवैधानिक कार्य करके इन वर्गों के लाखों परिवारों को ओबीसी आरक्षण से वंचित कर दिया। क्योंकि सपा सरकार को ऐसे करने का अधिकार नहीं होने के बावजूद भी यह गलत कदम उठाने पर वे सभी जातियां न ओबीसी में ही रह पायीं और ना ही एससी में उन्हें शामिल किया जा सका। ऐसे कदम पर सपा सरकार को कोर्ट की फटकार अलग लगी।
मायावती ने कहा कि जबकि बसपा सरकार में एससी व एसटी के साथ-साथ अति-पिछड़ों व पिछड़ों को भी आरक्षण का पूरा हक एव आदर-सम्मान भी दिया गया। साथ ही, दलित व अन्य पिछड़े वर्गों में समयसमय पर जन्मे व हमेशा तिरस्कृत रहे महान संतों, गुरुओं एवं महापुरुषों को आदर-सम्मान देने में उनकी सरकार ने पर्यटकों के आकर्षण के केन्द्र भव्य स्थल, पार्क व अन्य संस्थान स्थापित किए। नए जिले आदि बनाए। उनकी उपेक्षा व नामान्तरण आदि जातिवादी मानसिकता वाली सपा सरकार में जारी रहे। इनका समाधान बसपा के उत्थान में ही निहित है।