''लास्ट'' में ''फास्ट'' होने के चक्कर में ''कास्ट'' की बात कर रही कांग्रेस, इसी से होगी उसकी मानसिकता ''ब्लास्ट'' : डॉ. मिश्रा

''लास्ट'' में ''फास्ट'' होने के चक्कर में ''कास्ट'' की बात कर रही कांग्रेस, इसी से होगी उसकी मानसिकता ''ब्लास्ट'' : डॉ. मिश्रा

भोपाल, 11 अक्टूबर । राहुल गांधी इन दिनों जहां भी जा रहे हैं, जातिगत जनगणना की बात कर रहे हैं। आश्चर्य की बात है कि राहुल गांधी को खुद अपनी जाति का पता नहीं है। कमलनाथ अपनी जाति नहीं बता पाते। लेकिन कांग्रेस के ऐसे ही नेता पिछड़ों की बात कर रहे हैं। असल वजह यह है कि कांग्रेस के पास जनता को बताने के लिए कुछ नहीं है। इसलिए वो हिन्दुओं का जातिगत विभाजन करके चुनाव जीतना चाहते हैं। कांग्रेस लास्ट में फास्ट होने के चक्कर में कास्ट की बात कर रही है, लेकिन उनकी मानसिकता इस चुनाव में ब्लास्ट होगी। मध्यप्रदेश में भाजपा की जीत तय है और भाजपा दो तिहाई से अधिक सीटें जीतकर सरकार बनाने जा रही है।

यह बात प्रदेश के गृहमंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा ने बुधवार को भाजपा मीडिया सेंटर में पत्रकार वार्ता को संबोधित करते हुए कही। उन्होंने कहा कि कांग्रेस या उसके नेता वास्तव में पिछड़ों के शुभचिंतक नहीं हैं। अगर ये वास्तव में पिछड़ों की भलाई चाहते हैं, तो क्यों नहीं ये घोषणा करते कि हम अगला मुख्यमंत्री पिछड़े वर्ग के किसी नेता को बनाएंगे? क्यों नहीं ये कहते कि हम जीतू पटवारी, कमलेश्वर पटेल या अरुण यादव को अगला मुख्यमंत्री बनाएंगे। कल राहुल गांधी जिस सभा में पिछड़ों की बातें कर रहे थे, उसके मंच पर किन का कब्जा था? दिग्विजय सिंह, गोविंद सिंह, अजय सिंह, राजेन्द्र सिंह और पूरी सिंह ऐसोसिएट मंच पर कतार लगाकर बैठी हुई थी।

उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी सिर्फ हिंदुओं में ही जातिगत जनगणना की बात कर रही है। किसी और धर्म के बारे में यह बात नहीं करती। इसी से साफ हो जाता है कि कांग्रेस के लोग सिर्फ हिंदुओं में जातिगत विभाजन पैदा करना चाहते हैं। राहुल गांधी जब राजस्थान में गए तो हिंदू और हिंदुत्व पर सवाल उठाया। मध्यप्रदेश में आए तो वनवासी और आदिवासी पर सवाल उठाया। यही तो इनकी मूल मानसिकता है। इन्होंने पहले विभाजन किया तो देश तोड़ दिया। इन्हीं के पूर्वजों ने देश से कश्मीर को काटा और पंजाब को काटने की कोशिश की गई। अब ये हिंदुओं को जातियों में बांटने की कोशिश कर रहे हैं।

वो सवाल उठाते हैं, जिन्होंने खुद कुछ किया ही नहीं

डॉ. मिश्रा ने कहा कि कांग्रेस के लोग भाजपा की सूचियों पर सवाल उठाते हैं, लेकिन ये वो लोग जिन्होंने खुद कुछ नहीं किया। अभी तक कोई सूची जारी नहीं की। कांग्रेस इस समय भयंकर आंतरिक कलह से जूझ रही है। कांग्रेस के नेता यह बात अच्छी तरह से जानते हैं कि जिस दिन भी उम्मीदवारों की लिस्ट जारी होगी, कांग्रेस पार्टी में बगावत होगी। मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान के बारे में कोई भी टिप्पणी करने से पहले कमलनाथ को यह देखना चाहिए कि जितने महीने वो मुख्यमंत्री नहीं रहे, उससे ज्यादा सालों से शिवराजसिंह मुख्यमंत्री हैं। कांग्रेस को यह पता नहीं है कि चौहान प्रदेश के साढ़े 8 करोड लोगों के दिल में बसते हैं। वे बहनों के भाई और बेटियों के मामा हैं।

कसाई खाने की मानसिकता लिये हुए है मोहब्बत की दुकान

गृहमंत्री डॉ. मिश्रा ने कहा कि कांग्रेस तुष्टिकरण की राजनीति किस तरह से करती है, यह इजराइल पर हमास के हमले वाले मामले से स्पष्ट हो जाता है। कांग्रेस की वर्किंग कमेटी की जो मीटिंग हुई, उसमें फिलिस्तीन की बात की गई, इजराइल की निंदा की गई, लेकिन हमास के बारे में एक शब्द भी नहीं बोला गया। इससे तो यही लगता है कि कांग्रेस की जो मोहब्बत की दुकान है, वह कसाईखाने की मानसिकता लिए हुए है। इजराइल में हमास द्वारा की गई बेगुनाह लोगों की नृशंस हत्याओं पर एक शब्द भी नहीं बोलना, यही कांग्रेस का तुष्टिकरण है और मैं इसकी कड़ी निंदा करता हूं। उन्होंने कहा कि अपनी तुष्टिकरण की मानसिकता के चलते ही कांग्रेस के लोग महाकाल पर ट्वीट करते हैं, राम जन्मभूमि के शिलान्यास पर सवाल उठाते हैं। इन्हें किसी और धर्म में कुछ दिखाई नहीं देता। इनके दिग्विजय सिंह भगवा पर सवाल उठाते हैं, तो इनके सलमान खुर्शीद हिन्दुत्व की तुलना बोको हरम जैसे आतंकी संगठन से करते हैं। यही इनकी मानसिकता है।

कांग्रेस के पास बताने के लिए कुछ नहीं

डॉ. मिश्रा ने कहा कि राजनीति में वर्तमान में कांग्रेस के पास कोई मुद्दा नहीं बचा है। झूठ बोल-बोल कर पूरे देश में एक्सपोज हो चुके हैं। पिछले चुनाव के जो मुद्दे थे, उनकी बात कर नहीं सकते। कर्जमाफी की बात कर नहीं सकते, बेरोजगारी भत्ता दिया नहीं। बेटियों की शादी पर 51000 रुपये देने की बात की थी, लेकिन वो भी नहीं दिया। पेट्रोल-डीजल के दाम कम करने की बात कही थी, लेकिन और बढ़ा दिये। इसलिए इस बार के चुनाव में ये इनमें से किसी भी मुद्दे पर बात नहीं कर सकते। ऐसे में इस बार ये सिर्फ जातिगत विभाजन की बात कर रहे हैं ताकि लोगों में विभाजन की मानसिकता पैदा की जा सके और उसी को आधार बनाकर चुनाव लड़ा जा सके।