अशोकनगर के दो अजा छात्रावास, 42 में से 34 छात्रायें मिलीं गायब, राज्य बाल आयोग ने की अधीक्षकाओं पर प्रकरण दर्ज कराने की अनुशंसा

अशोकनगर,06 मार्च । जिले में संचालित हो रहे अनुसूचित जाति छात्रावासों की अत्यंत दयनीय स्थिति के पीछे बड़ा फर्जीबाड़ा और शासन की राशि को खुलेआम हड़प करने की कहानी उजागर होती है। जहां शासन द्वारा बालिका सुरक्षा को लेकर कड़ाई से पालन करने के निर्देश दिए जाते हैं, वहीं यहां अजा बालिका छात्रावासों में बालिका सुरक्षा को लेकर गंभीर सवाल खड़े होते दिखाई दिए हैं।

मध्यप्रदेश राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग की सदस्य डॉ. निवेदिता शर्मा ने जो जिला मुख्यालय स्थित अजा कन्या छात्रावासों का निरीक्षण कर गुरुवार को कलेक्टर को रिपोर्ट प्रस्तुत की, जिसने जिले में संचालित हो रहे अनुसूचित जाति छात्रावासों में बड़े स्तर पर हो रहे फर्जीबाड़ा और गबन करने के साथ बालिका सुरक्षा के मामले में गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।

बाल अधिकार संरक्षण आयोग की सदस्या डॉ.निवेदिता ने संबंधित छात्रावासों की अधीक्षकाओं द्वारा छात्राओं की सुरक्षा में गंभीर लापरवाही बरते जाने और राशि का गबन किए जाने को लेकर उनके विरुद्ध जांचकर प्रकरण दर्ज कराने की कलेक्टर को अनुशंसा की है।

दरअसल मध्यप्रदेश बाल अधिकार संरक्षण आयोग की सदस्या डॉ.निवेदिता शर्मा 21 मार्च को यहां आईं हुईं थीं। उनके द्वारा जिला मुख्यालय स्थित अनुसूचित जाति कन्या जूनियर एवं कन्या तृतीय छात्रावास का निरीक्षण किया था। जिस में उन्होंने इन छात्रावासों की स्थिति अत्यंत ही दयनीय पाई थी।

कन्या तृतीय छात्रावास: पंजीकृत 38, उपस्थित 7 छात्रायें

अजा कन्या तृतीय छात्रावास में जहां पंजीकृत छात्राओं की संख्या 38 पाई गई, वहीं उपस्थित कुल 07 छात्रायें ही मिलीं। जबकि अधीक्षका द्वारा छात्राओं की पूर्ण उपस्थिति दर्ज की जा कर शिष्यावृत्ति का गबन करना पाया गया। वहीं संस्था में भोजन का मीनू,आवश्यक दूरभाष, छात्राओं की सूची आदि नहीं पाये गए तथा नाश्ता और भोजन गुणवत्ता पूर्ण नहीं पाया गया। छात्राओं से ही ओडऩे के कपड़े आदि धुलवाना पाया गया। साथ ही छात्राओं के स्वास्थ्य परीक्षण की भी कोई व्यवस्था नहीं मिली। छात्राओं को पेयजल के लिए पानी की टंकियों की सफाई न होना जैसे अनेक गंभीर एवं खास कमियां पाईं गईं।

यहां छात्राओं की सुरक्षा को लेकर गंभीर मामला ये भी सामने आया कि छात्राओं को अधीक्षका द्वारा बगैर किसी लिखित पत्र के, किसी जिम्मेदार व्यक्ति को सुपुर्द किए बिना ही छात्राओं की मर्जी से ही उन्हें घर जाने के लिए छोड़ दिया जाता है।

कन्या जूनियर छात्रावास: 4 में से 1 छात्रा ही मिली, नाश्ते को दिए जाते 5 रुपये

कन्या जूनियर छात्रावास के निरीक्षण में अधीक्षका द्वारा छात्रावास में 04 छात्रायें उपस्थित बताईं गईं। जबकि तत्समय सिर्फ 01 छात्रा उपस्थित पाई गई, जिसकी उपस्थिति की जानकारी भी अधीक्षका को नहीं थी।

इस संबंध में अधीक्षका का कहना था कि छात्रा के पिता उसे ले गए हैं, जबकि छात्रा के परिजनों से सम्पर्क किया तो पता चला कि छात्रा, छात्रावास में ही है। छात्रा को ढूंढने पर छात्रा, छात्रावास में ही मिली। यह घटना भी बालिका सुरक्षा को लेकर चिंतनीय पाई गई। क्यों कि अधीक्षका के पास छात्राओं के आने-जाने का कोई रिकार्ड नहीं मिला।

वहीं निरीक्षण में हैरानी पूर्ण वाकिया पाया गया कि छात्रा को सुबह का नाश्ता न देकर अधीक्षिका द्वारा 05 रुपये दे दिए जाते, जबकि दोपहर को भोजन छात्रा स्कूल के मध्यान्ह भोजन में कर के आई थी। छात्रा के अनुसार पाया गया कि वह दो दिन पहले ही घर से वापिस आई थी, रात में अकेले रहने के कारण डर लगता है। छात्रावास में भोजन के कोई प्रबंध नहीं मिले और बालिका सुरक्षा के इंतजाम भी नहीं । इसके अलावा खाद्यान्न सामग्री का रख-रखाब अत्यंत दयनीय पाया गया, खाद्य सामग्री में कीड़े-कचरा मिला।

प्रभार हटाकर प्रकरण दर्ज करने की अनुशंसा

मध्यप्रदेश बाल अधिकार संरक्षण आयोग की सदस्या डॉ.निवेदिता शर्मा ने अनुसूचित जाति कन्या छात्रावास की अधीक्षिका संगीता पंथी और कन्या जूनियर छात्रावास की अधीक्षिका नीला लाकरा के विरुद्ध कलेक्टर को अनुशंसा करते हुए लिखा है कि इनके प्रभार हटाकर एक जांच कमेटी बनाकर जांच कराई जाकर इनके विरुद्ध प्रकरण दर्ज कराये जाएं।