संयुक्त राष्ट्र, 19 अप्रैल। संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट के अनुसार जनसंख्या में वृद्धि को लेकर जताई जा रही आशंकाओं के विपरीत, हर जगह आबादी में वृद्धि की दर धीमी पडऩे के लक्षण दिखाई दे रहे हैं।
बुधवार को संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष (यूएनएफपीए) ने अपनी विश्व जनसंख्या रिपोर्ट (एसडब्ल्यूओपी) वर्ष 2023 में कहा है कि वैश्विक जनसांख्यिकी में तेजी से बदलाव हो रहा है और दो-तिहाई आबादी में प्रजनन दर में कमी आने का अनुमान है, जबकि वर्ष 2050 तक वैश्विक आबादी में अनुमानित वृद्धि में 50 प्रतिशत योगदान आठ देशों का होगा।
रिपोर्ट में कहा गया है कि सिर्फ आठ देश वैश्विक जनसंख्या में वर्ष 2050 तक अनुमानित वृद्धि का आधा हिस्सा होंगे। इन देशों में कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य, मिस्र, इथियोपिया, भारत, नाइजीरिया, पाकिस्तान, फिलीपीन और तंजानिया शामिल है।
रिपोर्ट के अनुसार, दो-तिहाई लोग ऐसे देशों में रह रहे हैं, जहां जनसंख्या वृद्धि की दर शून्य है। रिपोर्ट में कहा गया है कि 20वीं शताब्दी के उत्तरार्ध में कई देशों को स्वतंत्रता मिली, मानवाधिकारों का दावा करने के लिए विविध आंदोलनों की शुरुआत हुई और दुनियाभर में परिवार नियोजन कार्यक्रम चलाए गए और जनसंख्या वृद्धि की रोकथाम करने के लिए नीतियां बनाई गईं हैं।
रिपोर्ट के अनुसार भारत ने जनसंख्या वृद्धि को नियंत्रित करने के लिए वर्ष 1952 में परिवार नियोजन कार्यक्रम की शुरूआत की थी। रिपोर्ट में कहा गया है कि इससे जन्म दर पर काबू पाने में सीमित सफलता मिली, लेकिन इसके परिणामस्वरूप अत्यधिक और यहां तक कि जबरन नसबंदी के दृष्टांत भी देखने को मिले।
बाद में, वर्ष 1990 के दशक की शुरुआत तक नेताओं ने लक्ष्य-आधारित परिवार नियोजन कार्यक्रम को महिलाओं के स्वास्थ्य और उनके अधिकारों पर आधारित कार्यक्रम मे तब्दील कर दिया।