लंदन, 16 मई । बुकर पुरस्कार से सम्मानित लेखक सलमान रुश्दी ने भारत सहित दुनिया भर में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को चिंताजनक खतरों के प्रति आगाह किया है। रुश्दी ने यह बात लंदन में ब्रिटिश बुक अवार्ड्स में फ्रीडम टू पब्लिश सम्मान स्वीकार करते हुए कही।
न्यूयॉर्क से सोमवार रात जारी एक वीडियो संदेश में, भारतीय मूल के 75 वर्षीय लेखक रुश्दी ने कहा कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के लिए संघर्ष करना महत्वपूर्ण है। रुश्दी 1980 के दशक में द सैटेनिक वर्सेज के प्रकाशित होने के बाद से एक फतवे के साए में रह रहे हैं। रुश्दी पर पिछले साल अगस्त में चाकू से हमला किया गया था।
रुश्दी उक्त हमले के बाद अपने पहले सार्वजनिक संबोधन में कहा कि हम एक ऐसे समय में रह रहे हैं, जब अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, प्रकाशन की स्वतंत्रता मेरे जीवनकाल में पश्चिम के देशों में इस तरह के खतरे में कभी नहीं रही। उन्होंने कहा कि जाहिर तौर पर, दुनिया के कई ऐसे हिस्से हैं जहां सेंसरशिप लंबे समय से है, जैसे रूस, चीन, कुछ मायनों में भारत में भी।
हालांकि पश्चिमी देशों में, अभी हाल तक, प्रकाशन के क्षेत्र में उचित स्वतंत्रता थी। उन्होंने कहा कि अब मैं यहां अमेरिका में बैठा हूं, मुझे पुस्तकालयों और स्कूलों में बच्चों की किताबों पर असाधारण हमले, पुस्तकालयों के विचार पर हमले को देखना है। यह उल्लेखनीय रूप से चिंताजनक है और हमें इसके बारे में बहुत जागरूक होने और इसके खिलाफ दृढ़ता से संघर्ष करने की जरूरत है।