काठमांडू, 09 मई । कैलाश मानसरोवर की यात्रा पर जाने वाले नेपालियों, भारतीयों और अन्य विदेशी यात्रियों के लिए चीन ने वीजा शुल्क में बढ़ोतरी और सख्त एंट्री करके मुश्किलें बढ़ा दी हैं। चीन सख्त नियम बनाकर भारत से तीर्थयात्रियों को रोकने की कोशिश कर रहा है। विशेष रूप से भारतीय तीर्थयात्रियों को लक्ष्य बनाकर नए नियम पेश किए गए हैं।
नेपाल की ट्रैवल एजेंसियों ने यात्रियों के लिए नियमों को आसान बनाने की पहल शुरू की है। ट्रेकिंग एजेंसी एसोसिएशन ऑफ नेपाल और एसोसिएशन ऑफ कैलाश टूर ऑपरेटर्स नेपाल ने चीनी राजदूत चेन सॉन्ग को एक ध्यानाकर्षण पत्र दिया है। इसमें अन्य देशों के पर्यटकों की तुलना में भारतीय तीर्थयात्रियों के लिए अधिक यात्रा शुल्क और कई सख्त नियमों का उल्लेख किया गया है।
नए नियमों के मुताबिक भारत के पर्यटकों को तिब्बत जाने की अनुमति के लिए नई दिल्ली में वीजा लेना आवश्यक कर दिया गया है। वीजा के लिए पर्यटक को स्वयं उपस्थित होना होगा, ऑनलाइन आवेदन करना संभव नहीं है। दूतावास में बायोमेट्रिक विवरण लेना अनिवार्य है। इससे पहले यह जानकारी सीमा पर अप्रवासन कार्यालय में प्रस्तुत की जा सकती थी।
नए नियमों के मुताबिक कैलाश मानसरोवर यात्रा पर जाने वाले भारतीय पर्यटकों को वीजा के लिए कम से कम पांच लोगों के समूह में होना चाहिए। वीजा लेते वक्त कम से कम चार पर्यटक शारीरिक रूप से मौजूद होने चाहिए। नेपालियों के लिए वीजा शुल्क भी बढ़ा दिया गया है। कोरोना महामारी से पहले नेपाली वीजा शुल्क 4200 रुपये से चुकाते थे, जिसे बढ़ाकर 13 हजार रुपये कर दिया गया है। तीर्थयात्रियों के कुली बनकर जाने वालों को अब 300 डॉलर देने होंगे, जबकि पहले 100 डॉलर देना ही काफी होता था। काठमांडू में नेपालियों को ले जाने के लिए बायोमेट्रिक डिटेल्स की भी व्यवस्था की गई है।
भारतीय तीर्थयात्रियों के लिए सख्त नियम लाने के बाद नेपाल की ट्रैवल एजेंसियों के हौसले पस्त हो गए हैं। हवाई मार्ग से काठमांडू से ल्हासा तक कैलाश मानसरोवर की यात्रा नेपालगंज से सिमिकोट से हिलसा तक की यात्रा से अधिक महंगी है। 2016 के बाद से कैलाश मानसरोवर की यात्रा में काफी इजाफा हुआ है। चीन ने कैलाश मानसरोवर यात्रा से जुड़ी ट्रैवल एजेंसियों के लिए भी 60 हजार डॉलर का बॉन्ड रखने का मानक तय किया है। कैलाश मानसरोवर यात्रा के लिए चीन की सख्ती और फीस में बढ़ोतरी से नेपाल के कारोबारी चिंतित हैं।