ढाका, 12 अप्रैल । आर्थिक विकास के लिए संचार व्यवस्था पहली शर्त है। देश की संचार व्यवस्था जितनी अच्छी होगी, देश की आर्थिक स्थिति उतनी ही अच्छी होगी।
यह टिप्पणी बांग्लादेश के ग्रामीण विकास और सहकारिता मंत्रालय के मंत्री ने हिन्दुस्थान समाचार से खास बातचीत में कही हैं। उन्होंने कहा कि अगर बांग्लादेश और भारत सभी क्षेत्रों में मिलकर काम करते हैं, तो दोनों देशों को फायदा होगा।
कई क्षेत्रों में भारत के योगदान की सराहना की
बहुभाषी समाचार एजेंसी हिन्दुस्थान समाचार के बांग्लादेश प्रतिनिधि किशोर सरकार को दिए एक विशेष साक्षात्कार में उन्होंने कई महत्वपूर्ण बिंदुओं पर प्रकाश डाला है। ताजुल इस्लाम ने कहा कि बांग्लादेश और भारत को लाभ होगा, यदि हम केवल मंत्रालय ही नहीं बल्कि देश के लाभ के लिए सभी क्षेत्रों में एक साथ काम करें। उन्होंने बांग्लादेश के स्वतंत्रता संग्राम में भारत के योगदान, चटगांव और राजशाही नगर निगम क्षेत्रों के विद्युतीकरण के लिए भारतीय लाइन ऑफ क्रेडिट द्वारा वित्त पोषण की भी सराहना की।
यूरोपीय संघ की तरह सिर्फ भारत ही कर सकता है कार्य
उन्होंने कहा कि यूरोपीय संघ की तरह सिर्फ भारत ही वैसा कार्य कर सकता है। हमें यह याद रखना होगा कि रिश्तेदारों, दोस्तों को बदलना या उनसे दूर जाना संभव है। लेकिन पड़ोस को बदलना संभव नहीं होगा। जैसा कि मैं यूरोप के बारे में कहता हूं, यूरोपीय देशों ने बातचीत की सहमति के आधार पर यूरोपीय संघ की स्थापना की। इसके माध्यम से व्यापार, संचार व्यवस्था, ज्ञान के आदान-प्रदान, शिक्षा के आदान-प्रदान सहित सभी क्षेत्रों में व्यापार को मिलकर काम करने का अवसर मिला है। नतीजतन, यूरोपीय संघ की स्थापना के बाद यूरोपीय देशों की आर्थिक व्यवस्था में काफी सुधार हुआ है। उन्होंने अपने बातों को दोहराते हुए पुन: कहाकि हम न केवल स्थानीय सरकार के मंत्रालयों में बल्कि सभी क्षेत्रों में भारत के साथ काम कर सकते हैं। इससे बांग्लादेश और भारत दोनों को फायदा होगा।
रहमान की विदेश नीति के सिद्धांतों पर कर रहे हैं कार्य
मंत्री ने कहा कि इस देश के लोगों की आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए राष्ट्रपिता बंगबंधु शेख मुजीबुर रहमान के नेतृत्व में एक स्वतंत्र संप्रभु राज्य की स्थापना की गई है। भारत के साथ एक जिम्मेदार पड़ोसी के रूप में संबंध बनाए रखने के लिए हम बंगबंधु शेख मुजीबुर रहमान की विदेश नीति पर आधारित संबंधों को संरक्षित करने के सिद्धांत के अनुसार काम कर रहे हैं।
भारत ने 1971 में एक करोड़ बंगालियों को दिया था आश्रय
देश के निर्माण में भारतीय सेना के योगदान को याद करते हुए कहा कि बंगबंधु शेख मुजीबुर रहमान के आह्वान के जवाब में, पूरे बंगाली समुदाय ने स्वतंत्रता संग्राम शुरू किया। फिर पाकिस्तानियों ने हमारे निहत्थे बंगालियों पर अत्याधुनिक हथियारों से हमला बोल दिया और आम लोगों को मारना शुरू कर दिया, माताओं-बहनों की इज्जत लूट ली, तब एक करोड़ बंगालियों को सुरक्षा के लिए भारत में शरण लेने के लिए विवश होना पड़ा। भारत ने 1971 में एक करोड़ बंगालियों को आश्रय देकर दुनिया में एक अनूठी मिसाल कायम की।
हम भारत के खून के कर्जदार हैं : मंत्री मो.ताजुल इस्लाम
कहाकि भारत ने न केवल स्वतंत्रता सेनानियों को आश्रय दिया, बल्कि प्रशिक्षित भी किया। यहां तक कि इसने पाक आक्रमणकारियों के खिलाफ सहयोगी सेना के रूप में स्वतंत्रता सेनानियों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर लड़ाई लड़ी। और पाकिस्तानी आक्रमणकारियों के खिलाफ लड़ते हुए सैकड़ों हजारों भारतीय सैनिक मारे गए और घायल हुए। इसलिए हमने अपने खून से जो आजादी हासिल की है, उसके लिए हम भारत के खून के कर्जदार हैं। इसे बंगाली राष्ट्र (बांग्लादेश) हमेशा याद रखेगा।