काठमांडू, 23 मार्च । नेपाल में पूर्व राजा ज्ञानेंद्र शाह को अपने पक्ष में दिखाने की होड़ में राजशाही पार्टी के गुट सक्रिय हो गए हैं। उन्होंने राजशाही की बहाली को अपना मुख्य एजेंडा बना रखा है। हालांकि वे बंटे हुए हैं और अलगअलग गतिविधियां चला रहे हैं।
बुधवार को नेपाल के उत्तर पूर्वी जिले झापा पहुंच कर पूर्व राजा ज्ञानेंद्र शाह से राष्ट्रीय प्रजातंत्र पार्टी (आरपीपी) के नेताओं ने मुलाकात की। बैठक में आरपीपी अध्यक्ष राजेंद्र लिंगदेन, उपाध्यक्ष रविंद्र मिश्र, महामंत्री धवल शमशेर राणा और वरिष्ठ नेता डॉ. प्रकाशचंद्र लोहानी सहभागी थे। बैठक में शामिल आरपीपी के महामंत्री धवल शमशेर राणा ने कहा कि पूर्व राजा ने उन्हें देश की रक्षा के लिए आगे बढ़ने को कहा। उन्होंने पूर्व राजा के हवाले से हिन्दुस्थान समाचार को बताया, मैं आपके साथ हूं, आगे बढ़िए।
राणा ने कहा कि उन्होंने पूर्व राजा को अपनी गतिविधि बढ़ाने का सुझाव दिया। उन्होंने यह भी बताया कि वे हिंदू राष्ट्र के मुद्दे को भी जोरशोर से उठाने में लगातार सक्रिय हैं। इसी तरह व्यवसायी दुर्गा परसाई ने भी पूर्व राजा शाह को सार्वजनिक मंच पर लाकर अभियान चलाया था। परसाई के साथ रहे पूर्व मंत्री केशर बहादुर बिष्ट भी राजशाही वाले हिंदू राष्ट्र के अभियान में हैं। इस प्रकार पूर्व राजा को अपने पक्ष में लाने और अभियान चलाने के लिए राजशाही व्यवस्था के समर्थकों के बीच एक प्रतिस्पर्धा हो रही है।
आरपीपी के महामंत्री राणा ने पूर्व राजा शाह से भी गुजारिश की कि वो किसी से ना मिलें। महामंत्री का बयान दुर्गा परसाई के अभियान में पूर्व राजा की सहभागिता की ओर था। नेपाल में 28 मई, 2008 को राजशाही की समाप्ति और गणतंत्र की स्थापना के बावजूद राजशाही की पुनः स्थापना के समर्थक सक्रिय हैं। राजशाही के समर्थक आरपीपी ने 20 नवंबर, 2022 को हुए चुनाव में प्रतिनिधि सभा की 13 सीटों पर जीत हासिल की और खुद को पांचवीं शक्ति के रूप में स्थापित किया।