सूडान से विदेशी नागरिकों की निकासी, स्थानीय नागरिक भी सुरक्षित स्थान की तलाश में

सूडान से विदेशी नागरिकों की निकासी, स्थानीय नागरिक भी सुरक्षित स्थान की तलाश में

खार्तुम, 24 अप्रैल । सूडान से अनेक देशों के नागरिकों के सुरक्षित स्थानों पर पहुंचने के बीच स्थानीय नागरिकों ने सोमवार को अराजक स्थिति से बचने के तरीके तलाशे और आशंका जताई कि देश से लोगों के सुरक्षित निकलने के बाद दोनों प्रतिद्वंद्वी जनरल अधिकार हासिल करने के लिए अपनी लड़ाई तेज कर देंगे।

विदेशी राजनयिक, कामगार और उनके परिवार नाटकीय तरीके से काफिलों में राजधानी खार्तुम में तनावपूर्ण अग्रिम मोर्चों पर तैनात लड़ाकों से आगे निकल गए हैं और देश के पूर्वी तट की ओर सैकड़ों मील दूर तक पहुंच गए हैं।

यूरोपीय और पश्चिम एशियाई विमान रविवार को दिन-रात तथा सोमवार को भी नागरिकों को निकालने के लिए उड़ान भरते रहे। फ्रांस और जर्मनी ने कहा कि अगर सुरक्षा स्थिति अनुकूल रही तो और अधिक उड़ान संचालित हो सकती है।

लेकिन कई सूडानी नागरिकों के लिए हवाई मार्ग से नागरिकों की निकासी इस बात का भयावह संकेत है कि अंतरराष्ट्रीय शक्तियां संघर्ष विराम कराने के प्रयास में बार-बार विफल होने के बाद केवल लड़ाई के हालात बिगड़ने की आशंका व्यक्त कर रही है, जिसने देश को पहले ही संकट में डाल दिया है।

खार्तुम और अन्य शहरों में विस्फोटों तथा गोलीबारी के बीच लाखों लोग अपने घरों में फंसे हुए हैं और सशस्त्र लड़ाके सड़कों पर लूटपाट कर रहे हैं। देश में खाद्य आपूर्ति कम होती जा रही है और अस्पताल पूरी तरह तबाह होने के कगार पर हैं। अनेक सूडानी नागरिक मिस्र तथा अन्य देशों के लोगों के साथ जान जोखिम में डालकर अपने वाहनों से मिस्र की ओर जाने वाली उत्तरी सीमा की ओर जा रहे हैं।

मिस्र के छात्र सुलेमान अल-कूनी ने मिस्र के साथ लगे आरकिन सीमा क्षेत्र में कहा, हमने अपने जोखिम पर 15 घंटे तक सड़क मार्ग से सफर किया। उसने कहा कि इस सुदूर इलाके में सैकड़ों लोगों को लेकर बसें कतार में खड़ी हैं।

मिस्र के अल-अहराम सेंटर फॉर पॉलिटिकल एंड स्ट्रेटेजिक स्टडीज के अल-तावील ने कहा कि जो सूडानी मिस्र जाने का खर्चा उठा सकते हैं, वो तो फिर भी ठीक हैं, लेकिन गरीब लोगों को बहुत नुकसान होगा क्योंकि उनके पास कोई सहायता या भोजन नहीं है।

सूडान में, वहां की सेना और एक अर्धसैनिक समूह के बीच पिछले 10 दिन से जारी भीषण लड़ाई में 420 से अधिक लोगों की जान जा चुकी है जिनमें 264 आम नागरिक थे। हिंसा में 3,700 से अधिक लोग घायल हुए हैं।