नई दिल्ली, 2 मार्च । मार्केट रेगुलेटर सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (सेबी) के चेयरपर्सन पद से अवकाश ग्रहण करने के तुरंत बाद माधवी पुरी बुच की परेशानी बढ़ती हुई नजर आने लगी है। सेबी की पूर्व प्रमुख और पांच अन्य लोगों के खिलाफ शेयर बाजार में रेगुलेटरी प्रावधानों का उल्लंघन करने और कथित धोखाधड़ी के आरोप में प्राथमिक की दर्ज करने का आदेश दिया गया है। ये आदेश मुंबई की एक अदालत की ओर से जारी किया गया है। आदेश में कहा गया है कि इस मामले में प्रथम दृष्ट्या रेगुलेटरी प्रावधानों के उल्लंघन और मिली भगत की बात नजर आती है। इसलिए मामले की निष्पक्ष जांच की जरूरत है।
उल्लेखनीय है कि पिछले शुक्रवार को ही सेबी के चेयरपर्सन के रूप में माधवी पुरी बुच ने 3 साल का कार्यकाल पूरा किया है। अब उनके स्थान पर तुहिन कांत पांडे ने सेबी की कमान संभाल ली है। अपने तीन साल के कार्यकाल के दौरान माधवी पुरी बुच को कई आरोपों का सामना करना पड़ा। अमेरिकी शॉर्ट सेलर फर्म हिंडनबर्ग ने भी अपनी एक रिपोर्ट में माधवी पुरी बुच पर निशाना साधा था।
मुंबई की विशेष अदालत ने एंटी करप्शन ब्यूरो को शेयर बाजार में कथित धोखाधड़ी और रेगुलेटरी प्रावधानों का उल्लंघन के संबंध में मुकदमा दर्ज करने का निर्देश दिया है। अदालत की ओर से कहा गया है कि मामले की निष्पक्ष जांच सुनिश्चित करने के लिए वो खुद जांच की निगरानी करेगा। अदालत ने 30 दिन के अंदर स्टेटस रिपोर्ट जमा करने का भी निर्देश दिया है। अदालत की ओर से कहा गया है कि माधवी पुरी बुच पर लगाए गए आरोप संगीन अपराध का खुलासा करते हैं।
इसके पहले कोर्ट में एक याचिका दाखिल करके माधवी पुरी बुच समेत सेबी के अन्य अधिकारियों पर बड़े पैमाने पर वित्तीय धोखाधड़ी करने, रेगुलेटरी प्रावधानों का उल्लंघन करने और भ्रष्टाचार करने का आरोप लगाया गया था। याचिका में शिकायतकर्ता की ओर से दावा किया गया था कि सेबी के अधिकारी अपने वैधानिक कर्तव्यों को निभाने में विफल रहे और बाजार में हेराफेरी को बढ़ावा दिया। इसके साथ ही निर्धारित मानदंडों को पूरा नहीं करने वाली एक कंपनी को लिस्ट होने की अनुमति देकर कॉर्पोरेट धोखाधड़ी के लिए रास्ता भी खोला।