भारत में वैध अफीम बाजार के नई ऊंचाई पर पहुंचने की उम्मीद

नई दिल्ली, 31 मार्च । भारत में अफीम के प्रसंस्करण के क्षेत्र में निजी क्षेत्र के प्रवेश से इस क्षेत्र में जबरदस्त तेजी आने की उम्मीद बन गई है। भारत में अफीम का कारोबार मुख्य रूप से फार्मास्यूटिकल सेक्टर की कंपनियां के लिए किया जाता है। माना जा रहा है कि निजी क्षेत्र की कंपनियों के अफीम प्रसंस्करण का काम शुरू करने से फार्मास्यूटिकल कंपनियों के लिए ये एक गेम चेंजर साबित हो सकता है।

भारत में अभी तक अफीम के प्रसंस्करण का काम काफी सख्ती के साथ निर्धारित नियमों के तहत किया जाता है। अफीम उत्पादन के लिए सरकार हर साल अफीम उत्पादक किसानों को लाइसेंस जारी करती है। वैध तरीके से देश में हर साल 500 से लेकर 700 टन अफीम का उत्पादन किया जाता है। लेकिन फार्मास्यूटिकल सेक्टर की जरूरत के हिसाब से अफीम की मांग पूरी नहीं हो पाती है।

देश में उगाए जाने वाले अफीम की खरीदारी अभी तक सिर्फ उत्तर प्रदेश में गाजीपुर और मध्य प्रदेश में नीमच की सरकारी कंपनी ही करती है। किसानों को लाइसेंस की शर्तों के तहत निर्धारित न्यूनतम मात्रा इन कंपनियों के जरिए सरकार को देनी होती है। इस अफीम का प्रसंस्करण कर एल्कॉलॉइड्स और एक्टिव फार्मास्यूटिकल इनग्रेडिएंट्स का उत्पादन किया जाता है, जिनके जरिए कई जरूरी दवाओं का निर्माण होता है। फार्मास्यूटिकल कंपनियां अफीम से बनने वाले एल्कॉलॉइड्स और एक्टिव फार्मास्यूटिकल इनग्रेडिएंट्स से टर्मिनल कैंसर ट्रॉमेटिकल पेन और पुराने दर्द जैसी कई जटिल बीमारियों के उपचार के लिए मॉरफिन और कोडाइन फॉस्फेट और इसी तरह की अलग अलग दवाएं बनाती हैं।

सीमित मात्रा में अफीम का उत्पादन होने और फार्मास्यूटिकल कंपनियों की लगातार बढ़ती मांग की वजह से सरकार फिलहाल दवा कंपनियों को पर्याप्त मात्रा में अफीम के प्रसंस्कृत अवयव भारतीय बाजार से उपलब्ध नहीं करा पा रही है। ऐसी स्थिति में दवा कंपनियों की जरूरत को पूरा करने के लिए हर साल करोड़ों रुपये की लागत से एल्कॉलॉइड्स और कोडाइन फास्फेट जैसे अफीम के प्रसंस्कृत अवयवों का आयात करना पड़ता है।

माना जा रहा है कि अफीम प्रसंस्करण के क्षेत्र में निजी कंपनियों के आने से मांग और आपूर्ति के बीच के इस अंतर को पाटा जा सकेगा। अफीम प्रसंस्करण के क्षेत्र में अच्छा रेवेन्यू और शानदार प्रॉफिट मार्जिन होने की वजह से निजी क्षेत्र की कंपनियां लंबे समय से प्रसंस्करण के काम को सरकारी बंदिशों से मुक्त करने की मांग करती रही हैं। लेकिन अफीम से अवैध तरीके से बनाए जाने वाले नशीले पदार्थों पर अंकुश लगाने के इरादे से सरकार अभी तक सख्त गाइडलाइन के तहत सरकारी क्षेत्र में ही इसके प्रसंस्करण का काम करवाती है।

भारत में अफीम प्रसंस्करण के पूरे कामकाज का संचालन और उसकी देखरेख गवर्नमेंट ओपियम एंड अल्कॉलॉइड फैक्ट्री (जीओएफ) द्वारा की जाती है। लेकिन अब सरकार ने फार्मास्यूटिकल सेक्टर की बढ़ती मांग को देखते हुए अपनी सख्ती को कम करके निजी क्षेत्र की कंपनियों के लिए भी अफीम प्रसंस्करण के क्षेत्र को खोल दिया है। हालांकि ये पूरा काम सख्त बंदिशों के तहत सरकारी दिशानिर्देशों के मुताबिक ही किया जाएगा। ऐसा करके सरकार ना केवल अपने आयात बिल को कम कर सकेगी, बल्कि अफीम के प्रसंस्कृत अवयवों का वैध तरीके से निर्यात कर विदेशी मुद्रा भी अर्जित कर सकेगी।