नई दिल्ली, 27 जुलाई । केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि सरकार रसायन और पेट्रो-रसायन क्षेत्र के लिए उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना पर विचार करेगी। उन्होंने कहा कि सरकार का इरादा भारत को इन उत्पादों का विनिर्माण केंद्र बनाने का है। भारत ने 2047 तक ऊर्जा के मामले में आत्मनिर्भर बनने का लक्ष्य रखा है।
सीतारमण ने गुरुवार को नई दिल्ली में सस्टेनेबिलिटी एंड सर्कुलरिटी विषय पर आयोजित वैश्विक रसायन और पेट्रोकेमिकल्स विनिर्माण हब इन इंडिया के तीसरे शिखर सम्मेलन को संबोधित करते हुए यह बात कही। वित्त मंत्री ने कहा कि सरकार ने आजादी के सौ साल पूरा होने के अवसर वर्ष 2047 तक ऊर्जा के मामले में आत्मनिर्भर बनने और 2070 तक शून्य कार्बन उत्सर्जन का लक्ष्य निधारित किया है। ये ऊर्जा के मामले में स्वतंत्र बनने जैसा है।
निर्मला सीतारमण ने कहा कि रसायन और पेट्रोकेमिकल उद्योग की क्षमता और मौजूदा आकार मुझे यह देखने पर मजबूर करता है कि यह क्षेत्र किस हद तक हमारे आर्थिक ताने-बाने का हिस्सा बन गया है। यह क्षेत्र 80,000 उत्पादों का उत्पादन करता है, जो हमारे दैनिक जीवन में आते हैं। आप कल्पना कर सकते हैं कि इस क्षेत्र पर कितना प्रभाव पड़ा है। वित्त मंत्री ने कहा कि भारत में बड़ा वैश्विक बाजार होने के कारण विश्व वैकल्पिक निवेश स्थानों के लिए भारत की ओर देख रहा है।
उन्होंने कहा कि भारत की ऊर्जा दक्षता और नवीकरणीय ऊर्जा प्रतिबद्धताएं बहुत महत्वपूर्ण हैं। भारतीय उद्योग जगत को शुद्ध शून्य उत्सर्जन और गैर-जीवाश्म ईंधन स्रोतों से 500 गीगावॉट की स्थापित बिजली क्षमता के लक्ष्य को ध्यान में रखना चाहिए। उन्होंने उद्योग जगत से हाइड्रोजन मिशन पर भी ध्यान देने का आग्रह किया।