नई दिल्ली, 16 जून। इंटरनेशनल गोल्ड मार्केट में सोना पिछले दो महीने के सबसे निचले स्तर पर पहुंच गया है। पिछले कारोबारी सत्र में इंटरनेशनल मार्केट में स्पॉट गोल्ड 0.40 प्रतिशत की गिरावट के साथ 1,935.09 डॉलर प्रति औंस के स्तर पर आ गया था। 17 मार्च के बाद पहली बार सोना इस स्तर तक नीचे लुढ़का है। इसी तरह यूएस गोल्ड फ्यूचर्स में भी सोने की कीमत में 1.10 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई है, जिसकी वजह से गोल्ड फ्यूचर्स 1,947.10 डॉलर प्रति औंस के स्तर पर पहुंच गया है।
गोल्ड मार्केट के जानकारों का कहना है कि अमेरिकी फेडरल रिजर्व की मॉनेटरी पॉलिसी का ऐलान होने के बाद से ही इंटरनेशनल मार्केट में सोने की कीमत में लगातार मिलाजुला रुख बना हुआ है। ब्याज दरों में बढ़ोतरी नहीं किए जाने की वजह से डॉलर इंडेक्स में मजबूती आई है। फिलहाल डॉलर इंडेक्स 103 के स्तर के करीब पहुंच गया है, जिसकी वजह से सोने की खरीदारी महंगी हो गई है। इससे इंटरनेशनल मार्केट में सोने की मांग पर प्रतिकूल असर पड़ा है, जिसका परिणाम उसकी गिरती कीमत के रूप में साफ-साफ नजर आने लगा है।
कमोडिटी मार्केट के जानकार मयंक मोहन के मुताबिक अमेरिकी अर्थव्यवस्था में अभी भी मंदी की आशंका बनी हुई है। ऐसे में अगर अमेरिका मंदी की चपेट में आता है तो संकट से उबरने के लिए अमेरिकी फेडरल रिजर्व को अपने रुख में नरमी लाने की मजबूरी बन जाएगी। इसका असर प्रत्यक्ष रूप से इंटरनेशनल गोल्ड मार्केट में सोने की कीमत पर भी पड़ेगा। फिलहाल बाजार की मांग और सप्लाई को देखते हुए अनुमान लगाया जा रहा है कि इंटरनेशनल मार्केट में सोने की कीमत को 1,948 से लेकर 1,960 डॉलर प्रति औंस के स्तर पर कड़े रेसिस्टेंस का सामना करना पड़ सकता है। दूसरी ओर 1,912 से लेकर 1,926 डॉलर प्रति औंस के स्तर पर सोने को मजबूत सपोर्ट मिला हुआ है। इसलिए जब तक अमेरिकी अर्थव्यवस्था के रूप में कोई स्पष्ट बदलाव नहीं होता और अमेरिकी फेडरल रिजर्व के रवैए में नरमी नहीं आती, तब तक इंटरनेशनल मार्केट में सोने की कीमत एक सीमित दायरे में ही कारोबार करती नजर आ सकती है।